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Jantar Mantar Case: पिंकी चौधरी की जमानत अर्जी Delhi Court ने की खारिज

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 Jantar Mantar Case: पिंकी चौधरी की जमानत अर्जी Delhi Court ने की खारिज

  दिल्ली की एक अदालत ने जंतर-मंतर भड़काऊ नारेबाजी मामले में अग्रिम जमानत से जुड़ी एक याचिका खारिज कर दी याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की कि देश में तालिबानी राज नहीं है जंतर-मंतर पर कथित भड़काऊ और मुस्लिम विरोधी नारे उन्होंने ही लगाए थे जानते हैं कि कोर्ट ने पिंकी चौधरी की अग्रिम जमानत याचिका रद्द करते हुए या फिर क्या था बीती 8 अगस्त को दिल्ली के जंतर मंतर पर बिना अनुमति के एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया करीब 5000 लोग झूठे आरोप है कि इस दौरान कुछ लोगों ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ - 

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अश्विनी उपाध्याय भी शामिल थे उन्होंने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था मामले में गिरफ्तार किया गया था इसके पीछे उनकी कथित भूमिका को लेकर कोई स्पष्ट सबूत नहीं मिलने पर अदालत ने अश्विनी उपाध्याय को जमानत नाम पिंकी चौधरी गाजियाबाद के रहने वाले पिंकी चौधरी का असली नाम भूपेंद्र लोग उन्हें पिंकी भैया के नाम से बुलाते हैं हिंदू रक्षा दल के संगठन 5 जनवरी 2020 को जब जेएनयू में हिंसा हुई थी तब पिंकी चौधरी ने उसकी जिम्मेदारी भी पिंकी ने कहा था जेएनयू लगातार देशों का अड्डा बनता जा रहा है दावत नहीं कर सकते जेएनयू में जो हिंसा हुई है उसकी पूरी जिम्मेदारी लेते हैं !

 

मुस्लिम विरोधी नारे लगाने वालों के लिए भी उन्होंने कहा कि नारे लगाने वाले उनके लोग थे और लेकिन पुलिस की पकड़ में नहीं आया उसी से बचने के लिए पिंकी चौधरी ने कोर्ट का रुख किया ताकि अग्रिम जमानत लेकर जेल जाने से बच जाए लेकिन कोर्ट ने पिंकी को कोई राहत नहीं दी 21 अगस्त को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल ने उनकी याचिका पर सुनवाई की उन्होंने पिंकी को जमानत देने से साफ इनकार कर दिया हमारे बहुल और बहु सांस्कृतिक समाज में कानून के पवित्र शासन का सिद्धांत है जो पूरा भारत आजादी का अमृत महोत्सव यानी कि स्वतंत्रता दिवस मना रहा है सब कुछ लोग अभी भी और आत्म केंद्रित विश्वासों के साथ जकड़े हुए अदालत के सामने रखे गए तथ्यों से पता चलता है कि कथित मामले में अपराध के विषय आवेदन अभियुक्त की संलिप्तता प्रथम अदालत ने आगे कहा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार पूर्ण नहीं है नहीं अन्य लोगों के पब्लिक स्कूल कृतियों तक विस्तार किया जा सकता है नहीं से हमारे समाज के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर आक्रमण करने और नष्ट करने की अनुमति दी जा सकती खबर कोर्ट ने अग्रिम जमानत की याचिका खारिज करते हुए कहा आवेदक हिंदू रक्षा दल - 

 

 

का अध्यक्ष है उसके भाषण के स्वर और इंटरव्यू में इस्तेमाल किए गए धमकी भरे शब्दों को ध्यान में रखते हुए उनके कारण और प्रभाव की पृष्ठभूमि में विश्लेषण किया गया है इस वाक्य मजबूत संभावना है कि अगर उसे जमानत पर रिहा कर दिया जाता है तो अभी तक अभी जांच में बाधा डालेगा और गवाहों को प्रभावित करेगा और धमकी दे पहले बीती 13 अगस्त को एक अदालत ने इसी मामले में तीन आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था उन पर भी जंतर-मंतर पर भड़काऊ और मुस्लिम विरोधी नारे लगाने के आरोप !

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