Subscribe to NewsLetter

Type Here to Get Search Results !

Cryptocurrency Prices, July : रिस्क है, पर बड़ा मौका भी है CrytoCurrency में

0

Cryptocurrency Prices, July : रिस्क है, पर बड़ा मौका भी है क्रिप्टोकरेंसी में 

 

क्रिप्टोकरंसी(Cryptocurrency) को सरकार की तरफ से हरी झंडी मिलने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं ट्रेडर। बेसबब नहीं है यह बेकरारी। 2020 से अब तक के बीते एक साल में डिजिटल कॉइंस की कीमतें धुआंधार तरीके से बढ़ीं। हालिया गिरावट के बाद भी बिटकॉइन(Bitcoin) की मौजूदा कीमत सालभर पहले की तुलना में 400 फीसदी ऊपर है। छोटे सिक्के भी बड़े कमाल कर रहे हैं। ऐसे सिक्कों को ऑल्टकॉइन कहा जाता है। डॉजकॉइन जून 2020 की अपनी कीमत का 140 गुना हो चुका है। वहीं देसी क्रिप्टो ‘मैटिक’ में सात हज़ार प्रतिशत से अधिक की उछाल आई।


इतने बड़े-बड़े रिटर्न देने वाले डिजिटल कॉइंस का भारत(Cryptocurrency investment in India) में भविष्य तय करेगी सरकार। मगर क्या आगे भी ऐसे बड़े सपने दिखा पाएगी क्रिप्टोकरंसी? आइए जानते हैं कि एक्सपर्ट्स का क्या मानना है।

इस पीढ़ी के लिए नया बूम
क्रिप्टो का बाज़ार (Cryptocurrency Market)शेयर मार्केट से बहुत अलग नहीं है। यहां भी नफा-नुकसान का जोखिम बना रहता है। देश के बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज वज़ीरएक्स के सीईओ निश्चल शेट्टी का मानना है कि क्रिप्टो मार्केट की दिशा बिटकॉइन के हिसाब से तय होती है। यह अगर एक कदम आगे बढ़ता है, तो बाकी करंसी दो कदम। इसी तरह इसके थोड़ा सा लुढ़कने से बाकी कॉइन दो-तीन गुना लुढ़क जाते हैं।

हमारे सहयोगी अखबार द इकॉनमिक टाइम्स को दिए हालिया इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि भारत में क्रिप्टो का चलन नया है और निवेशकों के पास अनुभव भी कम है। लेकिन हर सेक्टर एक वक्त नया ही होता है। नई चीज़ को जो जितनी जल्दी समझ लेता है, उसे उतना ही फायदा होता है। पिछली पीढ़ियों के पास गोल्ड, रियल एस्टेट, शेयर मार्केट और इंटरनेट बूम था। उन्होंने उन्हें जमकर भुनाया। मौज़ूदा पीढ़ी के पास मौका क्रिप्टो बूम के रूप में दस्तक 
दे रहा है।



शेट्टी का यह भी मानना है कि सबसे मशहूर क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन (Bitcoin Cryptocurrency)का मामला तो गोल्ड के डिजिटल वर्जन जैसा है। इसे दुनिया के किसी भी कोने में ले जाया सकता है और पैसे के बदले भुनाया जा सकता है। हालांकि क्रिप्टो मार्केट को लेकर सभी एक्सपर्ट्स का नज़रिया एक सा नहीं है। इस बाज़ार से कई फैक्टर जुड़े हैं, जिन पर निर्भर करती हैं बिटकॉइन और अन्य कॉइंस की कीमतें।

अस्थिरता का है डर
शेट्टी का कहना है कि उतार-चढ़ाव निवेशकों के लिए अच्छा है क्योंकि इससे उनकी उम्मीदें वाजिब स्तर पर बनी रहेंगी। वहीं पर्सनल फाइनैंस के कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जब तक कायदे-कानून साफ नहीं हो जाते, तब तक वित्तीय सुरक्षा के लिहाज से क्रिप्टोकरंसी पर दांव लगाने का मतलब नहीं बनता।

रिसर्च फर्म कैपिटलवाया के रिसर्च हेड गौरव गर्ग का कहना है कि इस सिस्टम की ठोस जानकारी अमूमन होती नहीं है। साफ तौर पर यह भी पता नहीं होता कि हम किसके साथ ट्रेड कर रहे हैं। यहां बहुत कुछ सोशल मीडिया पर निर्भर है। क्या ट्रेंड कर रहा है, उस ओर लोग भागते हैं।

इसे ऐसे समझ सकते हैं कि टेस्ला के संस्थापक ईलॉन मस्क एक बड़ी वजह हैं जिनकी वजह से बिटकॉइन, डॉजकॉइन जैसे क्रिप्टो की कीमतें गिरती-उठती हैं। उन्होंने कहा था कि टेस्ला बिटकॉइन में पेमेंट तब तक नहीं लेने वाली, जब तक इसकी माइनिंग का तरीका पर्यावरण के लिहाज से नहीं सुधरता। बस इसी एक बात ने बिटकॉइन की कीमत को बड़ा फटका लगा दिया।

जो करंसी एक ट्वीट से बन-बिगड़ जाए, उस पर कैसे भरोसा कर सकते हैं? इसी तरह फिनफिक्स रिसर्च एंड एनालिटिक्स के संस्थापक प्रबलीन वाजपेयी का कहना है कि अभी हम नहीं कह सकते कि इतनी अस्थिर करंसी को मेनस्ट्रीम फाइनैंस में अपनाया जा सकता है या नहीं। किसी स्टॉक इनवेस्टर को किसी तरह की शिकायत होती है तो वह सेबी के पास जा सकता है। सरकारी समर्थन फिलहाल नहीं होने की वजह से यह फैक्टर भी मौजूद नहीं है क्रिप्टो बाज़ार में। बिना कायदे-कानून के और क्रिप्टो को मेनस्ट्रीम में लाए बिना निवेशक तो साइबर क्राइम सेल और अदालत के चक्कर लगाता रह जाएगा।

क्रिप्टो एक्सचेंजों (Crypto Exchange) का भरोसा
इस मोर्चे पर क्रिप्टो एक्सचेंज चलाने वाली कंपनियां भरोसा दिलाती हैं कि सेल्फ रेगुलेशन किया जा रहा है। अपने स्तर पर निवेशकों के सामने आने वाली चुनौतियों पर काम किया जा रहा है। भविष्य में हालात बेहतर होते जाएंगे। सरकार का साथ मिल गया तो क्रिप्टो को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकेगा।

वजीरएक्स के निश्चल शेट्टी की तरह कई और एक्सपर्ट भी इसमें भविष्य देख रहे हैं। क्रिप्टो एक्सचेंज गियोटस के सीईओ और को-फाउंडर विक्रम सुब्बाराज का कहना है कि क्रिप्टो की तकनीक वाकई बढ़िया है। इतनी अच्छी कि यह अपने लिए खुद आगे का रास्ता बनाती चली जाएगी। और जब ऐसा होगा तो जो देश खुद को इससे अलग कर चुका होगा, उसे नुकसान ही होगा। पिछड़ता जाएगा वह। ऐसे में हमें उम्मीद है कि भारत सरकार क्रिप्टो को बैन करने के बजाय सरकारी क्रिप्टो तैयार करने की दिशा में कदम उठाएगी।

शेट्टी को भरोसा है कि देश में क्रिप्टो से जुड़े नियम-कानून बन जाएंगे तो अनिश्चितता के बादल भी हट जाएंगे। विकसित बाज़ारों को देखें तो वहां क्रिप्टो ट्रेडिंग के ज़ोर पकड़ने से कई बड़े बदलाव हो रहे हैं। युवा निवेशक क्रिप्टो की टेक्नॉलजी के जरिए एजुकेशन कोर्स और दूसरे प्रोजेक्ट तैयार कर रहे हैं। यानी यहां सिर्फ कमाई तक नहीं टिका है मामला। बात सीखने और आगे बढ़ने की भी है। ऐसे में क्रिप्टो का भविष्य अंधकार में जाता तो नहीं दिखता।

क्रिप्टो का यह जो सुनहरा मुकद्दर दिख रहा है, उसका एक अहम आधार है ब्लॉकचेन। इसके बारे में हम बात करेंगे 'किस्मत का सिक्का' सीरीज के अगले हिस्से में। 

Post a Comment

0 Comments

Top Post Ad

Below Post Ad